कौहरा एक धुँध सी है। एक कौहरा सा है। हर साल इस इस शहर में एक समां सा छा जाता है। हर साल, सर्दी अपने साथ एक सफ़ेद धुआँ लेके आती है। पर ये धुआँ तो हर जगह पहले से ही छाया है। हर चेहरे परे कहीं ख़ुशी का धुआँ, तो कहीं दुःख का धुआँ। हर किसी की आँखों में कहीं प्यार का कौहरा , तो कहीं दर्द, कहीं पैसा, तो कहीं तन्हाई।
यहाँ आदमी कौहरे में ही जी रहा है। गिरता, पड़ता, उठता, संभलता, चलता ही चला जा रहा है। कही हाथ बढ़ाता है सँभालने के लिए, तो कही सँभलने के लिए।
यहाँ वह दौड़ नहीं पाता। गिरने के डर से वह दौड़ना चाहता ही नहीं। इस सर्दी के कौहरे को उठते देखा है, पर इस शहर को जागते कभी देखा ही नहीं।
इस धुँए को आँखों में लिए, चले आये हम वहाँ, जहाँ एक नई धुँध छाती है। एक लगन गुनगुनाति है. अब इस कौहरे के परे , मुझे दिखते हैं तारे।
सोचती हूँ जाकर समेट लाऊँ वो सारे। इन तारों की लौ में, मैं एक अपना कोहरा बनाऊँगी, ढलते हुए सूरज के रंगो में रचाऊँगी , और फिर मैं एक कौहरे में खो जाऊंगी।
धुँध से आयी थी, धुँध में ही खो जाऊँगी।
ऐश्वरया
१३ दिसबंर २०००
(13 December 2000 on flight DEL-EWR)
| Fog There’s a little mist There’s some fog. Every year this city is in a certain feeling Every year the winter brings a white smoke/ cloud, reeling
But this smoke lingers everywhere from before On Every face, somewhere the cloud of happiness Somewhere of sorrow In every eye somewhere a cloud of love Somewhere a cloud of pain Somewhere money Somewhere loneliness
Here mankind is living in a fog Stumbling, falling, rising, learning Walking on and on Somewhere he extends his hand to help someone else Somewhere, to steady himself
He isn’t able to run here For the fear of falling, he doesn’t even want to run I have seen the winter fog lifting But have never seen this city awakening
I took the smoke in my eyes And reached a place where a different fog rolls There’s a buzzing vibe Now beyond the mist
I see stars
I think I’ll go gather them all. In the light of these stars I’ll make my own clouds I’ll paint them with the colours of the setting sun And then again I shall disappear in the rolling fog.
From mist I arose, To the mist I’ll return !
Aishwarya Saigal 13.12.2020 (trans: 29.12.2020) |
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